

एक दिन की बात है कि हम सवाई माधोपुर के जंगल में कुछ लोगों के साथ शेर देखने गए । हमें पता चला की एक भूखी शेरनी शिकार के चक्कर में एक पेड़ के पीछे दबी पड़ी है। हम वहीं रुक गए और इस इंतजार में थे की शायद आज हमें शेरनी को शिकार करते देखने का मौका मिलेगा । और एसा ही हुआ.आप ख़ुद ही देख लीजिये

एक बार कि बात है की हम जंगल में शेर देखने निकले । हमें पता चला की एक शेरनी ने ३ शावकों को एक झील के किनारे छिपा रखा है मेरी बहुत इच्छा थी की में उस शेरनी को उसके बच्चों समेत देख पाता,हम दो तीन घंटों तक उस झील के अस पास भटकते रहे और जब हमें उस शेरनी की बच्चों को बुलाने की आवाज सुनाई दी तो जो नज़ारा हनमे देखा वो मुझे बहुत समय तक याद रहेगा। आप भी देखिए.

ध्यान से देखिये यह तीन नहीं चार हैं । एक माता शेरनी और ३ शावक।
अब और क्या देखना चाहते हो?
तुम्हें में एक नीले रंग का उड़ता हुआ पंछी दिखाता हूँ.उसका नाम है नील कंठ.उसे अंग्रेज़ी में रोलर या ब्लू जे भी कहते हें.

क्या आप जानते हें की सिर्फ़ मोर के ही सुंदर पंख होते हें मोरनी के पंख उतने सुंदर नहीं होते. आपने मोर के पंख से बने पंखे देखे होंगे उन्हें बनाने के लिए जो पंख इस्तेमाल किए जाते हें उन्हें मोरों से नहीं निकाला जाता, मोर के पंख साल दर साल ख़ुद ही किर जाते हें।

राजस्थान भारत वर्ष का सबसे रंगीला प्रान्त हे.यहाँ ऊँटो का प्रयोग काफी होता हे। पहले तो लोग भी एक शहर से दूसरे शहर ऊँटों पर ही जाया करते थे मगर आजकल इनका प्रयोग अक्सर सामान ढोने के लिए किया जाता हे।
अभी khatm nahin हुआ.